Saturday, February 25, 2012

आजाद


चिंगारी आज़ादी की
सुलगी मेरे जशन में हे
इन्कलाब की ज्वालाए
लिपटी मेरे बदन में हे

मौत जहा ज़न्नत हो
ये बात मेरे वतन में हे
क़ुरबानी का जस्बा
जिंदा मेरे कफ़न में हे